हमारा माइंड एक बच्चे की तरह है। आप इसे जैसा सिखाओगे ये वैसा ही सिखने लगेगा , जैसे विचारो का भोजन इसे दोगे वैसे ही इसकी सेहत बनने लगेगी।...
हमारा माइंड एक बच्चे की तरह है। आप इसे जैसा सिखाओगे ये वैसा ही सिखने लगेगा , जैसे विचारो का भोजन इसे दोगे वैसे ही इसकी सेहत बनने लगेगी। यह उस छोटे बच्चे की तरह है ,जिसका भविष्य उन पर निर्भर करता है , जो उसका पालन पोषण करते हैं ,जो उसका ध्यान रखते हैं। जिस तरह हम एक छोटे बच्चे को को गाइड करते हैं उसी तरह हमको अपने माइंड को भी सही चीज़ो की तरफ गाइड करना चाहिए।
यहाँ ध्यान देने वाली एक महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर आप खुद कंफ्यूज हो, तो ऐसे में आप अपने माइंड को सही दिशा में सकारात्मक दिशा में गाइड नही कर पाओगे। ऐसे में आपका माइंड आपके साथ नही चलता और फिर वह नकारात्मक दिशा में चला जाता है। जब आपके माइंड को यह पता होगा की किस दिशा में जाना है तो आपके माइंड में उस दिशा में ही सकारात्मक विचार आयेगे।
अब बात आती है कि किस दिशा में आपका माइंड जाएगा और क्यों ? तो इसका सीधा सा जवाब है "जैसा खाओगे वैसी सेहत पाओगे"। अगर आपको सफलता की तरफ जाना है तो अपने दिमाग को पॉजिटिव विचार देने होगे। नकारात्मक विचारो के साथ कभी आप अच्छा रिजल्ट नही पा सकते।
जिस तरह हम अपने बच्चो को बुरी बातो से दूर रखते हैं ताकि उन पर उसका असर न पड़े। उसी प्रकार हमको अपने माइंड को उन विचारो से , उन लोगो से दूर रखना होगा जो हमारी काबलियत पर शक करते हैं। हमे अपने को उनसे दूर रखना होगा ताकि उनकी बातो का असर हमारे माइंड पर न पड़े। याद रखो "जब माइंड हो साथ , तो बन जाये बात"।
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