क्या है ब्रेन वेब सेंसिंग तकनीक ? क्या ऐसा हो सकता है कि भविष्य में आप बिना कोई डिवाइस चेक किए ये जान जाएं कि हजारों किलोमीटर दूर बैठे आ...
क्या है ब्रेन वेब सेंसिंग तकनीक ?
क्या ऐसा हो सकता है कि भविष्य में आप बिना कोई डिवाइस चेक किए ये जान जाएं कि हजारों किलोमीटर दूर बैठे आपके किसी दोस्त या रिलेटिव दवरा परिवार के सदस्य दवरा भजे गए सन्देश को जान पाए । ब्रेन वेव सेंसिंग मशीन का इस्तेमाल कर साइंटिस्ट टेलिपैथी से संदेश भेजने की प्रक्रिया पर काम कर रहे हैं। ये प्रयोग आंशिक तौर पर सफल हुआ है और अगर इसके बेहतरीन परिणाम हुए तो आपके सोचने मात्र से मेसेज गंतव्य तक पहुंच जाएगा। एक मष्तिष्क से दूसरे मस्तिष्क के विचारो का सीधे आदान प्रदान ! अगर यह संभव हो पाया तो आने वाला युग "इंटरनेट ऑफ़ थॉट्स" के नाम से जाना जाएगा।
इस प्रयोग में भारत के तिरुअनंतपुरम से 5 हजार किलोमीटर दूर फ्रांस के स्ट्रासबर्ग में बैठे एक व्यक्ति को बिना बताए जो संदेश इस विधि से भेजे गए, उसने हूबहू उन्हें डीकोड कर पढ़ लिया। वैज्ञानिकों ने इसे दिमाग की ताकत बताया है। शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रोइनसेफलोग्राफी (EEG) हेडसेट का प्रयोग कर दिमाग में 'होला' और 'सियाओ' कहने पर न्यूरॉन्स की गतिविधि में उसकी इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को रिकॉर्ड किया। इन्हें बाइनरी कोड (कंप्यूटर भाषा) में बदल कर दूसरे व्यक्ति के ब्रेन तक भेजा गया, जिसने मात्र महसूस कर इन्हें डीकोड कर लिया।
कैसे सफल हुआ यह प्रयोग ?
यदि हम इस तकनीक की विधि की बात करे तो आये बताते हैं की यह तकनीक कैसे काम करती है। ईईजी में इलेक्ट्रिक करंट को तमाम तरह के विचारों से जोड़ा जाता है और उसे कंप्यूटर इंटरफेस में डाल दिया जाता है। कंप्यूटर उन सिग्नल्स का विश्लेषण कर ऐक्शन को नियंत्रित करता है। जर्नल 'प्लोस वन' में छपी रिपोर्ट के मुताबिक कंप्यूटर इंटरफेस की जगह आउटपुट के लिए दूसरे व्यक्ति के ब्रेन को ईईजी से जोड़ दिया गया। रिसीवर एंड पर बैठे व्यक्ति के पास जब मैसेज पहुंचा तो उसे चमक सी महसूस हुई। जब उसने इसे डीकोड किया तो वही संदेश निकला जो संदेश भेजनेवाले ने लिखा था। इसी तरह का एक्सपेरिमेंट स्पेन और फ्रांस में बैठे लोगों के बीच किया गया। ये टेक्नॉलजी स्पेन की बार्सिलोना यूनिवर्सिटी, फ्रांस के एग्जीलम रोबोटिक्स, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल और स्टारलैब बार्सिलोना का जॉइंट ऑपरेशन था।
क्या ऐसा हो सकता है कि भविष्य में आप बिना कोई डिवाइस चेक किए ये जान जाएं कि हजारों किलोमीटर दूर बैठे आपके किसी दोस्त या रिलेटिव दवरा परिवार के सदस्य दवरा भजे गए सन्देश को जान पाए । ब्रेन वेव सेंसिंग मशीन का इस्तेमाल कर साइंटिस्ट टेलिपैथी से संदेश भेजने की प्रक्रिया पर काम कर रहे हैं। ये प्रयोग आंशिक तौर पर सफल हुआ है और अगर इसके बेहतरीन परिणाम हुए तो आपके सोचने मात्र से मेसेज गंतव्य तक पहुंच जाएगा। एक मष्तिष्क से दूसरे मस्तिष्क के विचारो का सीधे आदान प्रदान ! अगर यह संभव हो पाया तो आने वाला युग "इंटरनेट ऑफ़ थॉट्स" के नाम से जाना जाएगा।
इस प्रयोग में भारत के तिरुअनंतपुरम से 5 हजार किलोमीटर दूर फ्रांस के स्ट्रासबर्ग में बैठे एक व्यक्ति को बिना बताए जो संदेश इस विधि से भेजे गए, उसने हूबहू उन्हें डीकोड कर पढ़ लिया। वैज्ञानिकों ने इसे दिमाग की ताकत बताया है। शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रोइनसेफलोग्राफी (EEG) हेडसेट का प्रयोग कर दिमाग में 'होला' और 'सियाओ' कहने पर न्यूरॉन्स की गतिविधि में उसकी इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को रिकॉर्ड किया। इन्हें बाइनरी कोड (कंप्यूटर भाषा) में बदल कर दूसरे व्यक्ति के ब्रेन तक भेजा गया, जिसने मात्र महसूस कर इन्हें डीकोड कर लिया।
कैसे सफल हुआ यह प्रयोग ?
यदि हम इस तकनीक की विधि की बात करे तो आये बताते हैं की यह तकनीक कैसे काम करती है। ईईजी में इलेक्ट्रिक करंट को तमाम तरह के विचारों से जोड़ा जाता है और उसे कंप्यूटर इंटरफेस में डाल दिया जाता है। कंप्यूटर उन सिग्नल्स का विश्लेषण कर ऐक्शन को नियंत्रित करता है। जर्नल 'प्लोस वन' में छपी रिपोर्ट के मुताबिक कंप्यूटर इंटरफेस की जगह आउटपुट के लिए दूसरे व्यक्ति के ब्रेन को ईईजी से जोड़ दिया गया। रिसीवर एंड पर बैठे व्यक्ति के पास जब मैसेज पहुंचा तो उसे चमक सी महसूस हुई। जब उसने इसे डीकोड किया तो वही संदेश निकला जो संदेश भेजनेवाले ने लिखा था। इसी तरह का एक्सपेरिमेंट स्पेन और फ्रांस में बैठे लोगों के बीच किया गया। ये टेक्नॉलजी स्पेन की बार्सिलोना यूनिवर्सिटी, फ्रांस के एग्जीलम रोबोटिक्स, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल और स्टारलैब बार्सिलोना का जॉइंट ऑपरेशन था।
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