धुँधली यादो के झरोखे से , बचपन मुझसे कहता है ! जब मैं था कितना खुश था तू , अब क्यों चुप चुप सा रहता है !! हाथ पकड़ संग पिता के चलना ,म...
धुँधली यादो के झरोखे से , बचपन मुझसे कहता है !
जब मैं था कितना खुश था तू , अब क्यों चुप चुप सा रहता है !!
जब मैं था कितना खुश था तू , अब क्यों चुप चुप सा रहता है !!
हाथ पकड़ संग पिता के चलना ,मन में विश्वाश जगाता था !
जीवन पथ पर कैसे है चलना ? यह हमको सिखलाता था !!
जीवन पथ पर कैसे है चलना ? यह हमको सिखलाता था !!
क्या भूल गया तू वो सभी बातें,जो बचपन में सिखलाई थी !
जिनको अपनाने से जीवन में खुशियां आयी थी !!
जिनको अपनाने से जीवन में खुशियां आयी थी !!
चल फिर से अपना ले मुझको, अब देरी क्यों सहता है !
धुँधली यादो के झरोखे से , बचपन मुझसे कहता है !
जब मैं था कितना खुश था तू , अब क्यों चुप चुप सा रहता है !!
जब मैं था कितना खुश था तू , अब क्यों चुप चुप सा रहता है !!
COMMENTS