अरे ओ छोटू ! हाँ चाचा ! कछु सुनत रहो की नाय ? का चाचा ? का भयो ? अरे हम सुनत रहे कि अब आलू को सड़ने से बचाया जा सकता है !...
अरे ओ छोटू !
हाँ चाचा !
कछु सुनत रहो की नाय ?
का चाचा ? का भयो ?
अरे हम सुनत रहे कि अब आलू को सड़ने से बचाया जा सकता है !
चाचा अगर सच में आलू कि खेती करने वाले किसान भाई इस तकनीक का उपयोग कर पाये तो हो सकता है यह उनके लिए सोने पर सुहागा साबित हो या फिर आलू के ग्राहक के लिए !
हाँ शायद ऐसा ही होगा !
अक्सर जब आप बाज़ार से आलू लाते हो तो कुछ दिन बाद ही घर में रखे रखे उन में से पानी छूटने लगता है और वो सड़ने लगते हैं। इससे न केवल आपका नुक्सान होता है बल्कि उस किसान का भी नुक्सान भी होता है जो बड़ी संख्या में आलू का उत्पादन करते हैं। एक बड़ी मात्रा में उनका आलू सड़ने की वझे से ख़राब हो जाता है। आलू को सड़ने से बचाने के लिए भारत के जालंधर स्थित "केंद्रीय आलू शोध संस्थान" ने एक ऐसी तकनीक इजाद की है जिसकी मदद से आलू को सड़ने से बचाया जा सकता है और आप उसको लम्बे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं। " केंद्रीय आलू शोध संस्थान " , "भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद" के आधीन काम करने वाली एक संस्था है।
इस संस्था में आलू को सड़ने से बचाने वाली तकनीक को संस्था के प्रधान वैज्ञानिक डॉ अशिव मेहता ने बनाया है। जिसके दवरा आलू को 8 महीने तक सही सलामत रखा जा सकता है। डॉ अशिव मेहता के अनुसार आलू में 80 % मात्रा पानी की होती है जिसके कारन मिटटी से निकलते ही कुछ दिन बाद आलू ख़राब हो जाता है। अगर आलू से पानी की इस मात्रा को निकाल दिया जाए तो आलू को काफी महीनो तक सुरक्षित रखा जा सकता है। डॉ अशिव मेहता की इस तकनीक का नाम "डीहाइड्रेशन ऑफ़ पटैटो" है एवं यह पर्यावरण के अनुकूल भी है।
आलू में भारी मात्र में न्यूट्रीशन मौजदू होते हैं इसलिए इसको स्कूल में बच्चो को भी "मिड डे मील" के रूप में दिया जा सकता है।
Post from Computer Science


COMMENTS