अरे ओ छोटू ! हाँ चाचा ! कछु सुनत रो कि नाय ! का चाचा ?का भयो? अरे हम सुनत रहे कि हाल ही में आसाम यूनिवर्सिटी ने "...
अरे ओ छोटू !
हाँ चाचा !
कछु सुनत रो कि नाय !
का चाचा ?का भयो?
अरे हम सुनत रहे कि हाल ही में आसाम यूनिवर्सिटी ने "बिरुबाला राभा" नाम की 5 वी कक्षा पास महिला को डॉक्टरेट की उपाधि दी है।
चाचा इस पाचवी कक्षा पास महिला ने डॉक्टरेट उपाधि रखने वाले लोगो से भी कही जयदा बहादुरी का काम किया है। अगर आज देश की हर महिला "बिरुबाला राभा" बन जाए तो किस झाड़ फूक करने वाले ठोंगी बाबा में या किसी और में कहा इतना दम है, जो हमारे देश में अंधविश्वास , जादू टोन का खौफ फैलाकर अपना मतलब सीधा कर सके।
हाँ शायद ऐसा ही होगा !
आज इस पोस्ट में मैं जिनका परिचय आप लोगो से कराने जा रहा हूँ, वैसे से तो आपने हाल फिलहाल अखबारों में या पहले भी कहि इनके बारे में सुन रखा होगा। लेकिन फिर भी इस महान औरते के जज्बे को सलाम करते हुए मैं आपसे इनका परिचय करना जरूरी समझता हूँ। क्यों की आज के समय में ऐसी महिलाओ की समाज को बहुत जरूरत है ताकि देश को अंधविश्वास से मुक्ति मिल सके।

आसाम के ठाकुरकाला गाँव की यह आदिवासी महिला 20 साल से जादू टोन और अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं और अब तक 45 से ज्यादा लोगो की जाने बचा चुकी हैं। जिसमे चार पुरुष हैं। जादू टोन और अंधविस्वास के खिलाफ उनकी इस लड़ाई का सफर इतना आसान नही रहा। उनको इन २० सालो में कई बार जान से मार देने की धमकी मिली तो कई बार उन पर जानलेवा हमला भी हुआ। उनको गाव छोड़ने को भी कहा गया लेकिन फिर भी इस महिला ने हार नही मानी।

उन्होने अपने घर और गाव से शुरुवात करते हुए अपने आस पास के गाव तक जादू टोने और अंधविस्वास के खिलाफ जागरूकता फैलाने का काम किया। 2006 में "असोम महिला समता सोसाइटी" ने उन्हे अपने साथ जोड़ा। अब इन्होने न केवल अंद्विश्वास बल्कि रेप और दहेज़ जैसी घटनाओ के विरुद्ध भी लड़ना शुरू कर दिया। इन्होने एक ऐसी महिला की जान बचाई जिसको गाव वाले पेड़ से उल्टा लटकर पीट रहे थे क्यों की किसी कमवख्त मनहूस ने उस बेचारी महिला पर भूत का साया बताया था। बिरूबाला राभा जी के अनुसार उनके यहाँ गाव के कुछ रुतबे वाले लोग गरीबो जमीन हड़पने के लिए जादू टोने का नाटक करते हैं। उस गरीब को जादू टोने का शिकार बताकर उसे गाव से बहार फिकवा दिया जाता था और उसकी जमीन हड़प ली जाती थी। ऐसी सी एक घटना तब घाटी जब एक औरत ने एक युवक के साथ शारीरिक सम्बन्ध न बनाने पर उस औरत को भूत प्रेत का साया बताकर उसे मरवा दिया गया।
2008 में देश के नामी रिलायंस इंडस्ट्री इन्हे "रियल हीरो" के रूप में सम्मानित कर चुकी है। सन 2005 में इनका नाम नोबेल पुरूस्कार के लिए भी भेजा गया था। आज के समय में न केवल ग्रामीण क्षेत्रो में बल्कि शहरी इलाको में भी ऐसी महिलाओ की शख्त जरूरत है।
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