" Turn your loneliness into a way for success" "अक्सर हमारी जिंदगी में ऐसे पड़ाव भी आत...
"Turn your loneliness into a way for success"
"अक्सर हमारी जिंदगी में ऐसे पड़ाव भी आते हैं, जब हम खुद को बहुत अकेला महसूस करते हैं। ऐसे हालात के आने का कोई समय या कोई उम्र नही होती। ये उम्र के किसी भी पड़ाव पर आ सकते हैं। अब हम इन हालातो से कैसे निपटते हैं? इन पर विजय पाकर आगे बढ़ते हैं या फिर इन हालातो में खुद को कमजोर महसूस करके असफल हो जाते हैं। यह हमारी इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है। हमारे आत्मविश्वास पर निर्भर करता है। "
बचपन में कुछ छात्र ऐसे होते जिनको अच्छे दोस्त नही मिल पाते , वो क्लास में खुद को अकेला महसूस करते हैं। जिसका असर उनकी पढ़ाई पर भी पड़ता है और भविष्य पर भी तो ऐसे बच्चो के माता पिता को इनका विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। इनके प्रति सहानुभूति बरतने हर कदम पर इनका हौसला बढ़ाने की जरूरत होती है। ताकि वो अपने इस अकेलेपन में पड़कर अपने लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग पर चलने से डरे नहीं।
जब हम पर घर परिवार वाले हो जाते हैं , घर गृस्थि की जिम्मेदारियां आ जाती हैं तब भी कभी कभी हमको अकेलपन का सामना करना पड़ता है। ये अकेलापन कुछ दुसरे प्रकार का होता है। इन हालातो में हमारे साथ हमारे बीवी बच्चे तो होते हैं पर जब ऐसे में जब हम किसी आपत्ति या बेटे की बड़ी पढ़ाई , बिटिया की शादी या फिर घर सम्बंधित आर्थिक संकट से जूझ रहे हों तो ,हमारे सगे सम्बन्धी मित्रगण भी अक्सर हमको अकेला छोड़ देते हैं।
जब घर परिवार की जिम्मेदारियों का निर्वाह कर चुके होते हैं और वृद्धा अवस्था में आ जाते हैं ,तो बेटा और बहू अकेला छोड़ देते हैं। वो माँ बाप को घर छोड़कर नौकरी करने दुसरे शहर चले जाते हैं तो अकेलापन और भी रुलाने लगता है और बेटे अपने साथ रखते हैं ,तो उनके पास अपने माता पिता से सही से बात करने का समय भी नही होता। आजकल तो वैसे भी नियुक्लर फैमिली का चलन बढ़ता जा रहा है।
कुल मिलकर यह अकेलापन हमारी जिंदगी का एक हिस्सा है जो हमको कुछ दुखद अहसास करता है। तो क्या हम इस अकेलेपन से दुखी होते रहे ? क्या हम यह सोचना शुरू कर दे कि मैं बहुत अकेला पड़ गया हु अब मैं जो करना चाहता था वो नही कर पाउगा ? और हालत से हार मानकर बैठ जाए। नही हमे ऐसा बिलकुल नही करना है चाहे अकेलापन हमारी जिंदगी के पढ़ाई के दिनों आये या नौकरी और बिजनिस या खेती बाड़ी के दिनों में आये या फिर वृद्धा अवस्था में आये हमको हार नहीं माननी है।
हमको अपने इस अकेलेपन को ही अपनी शक्ति बनाकर खुद को सफल बनाना होगा। हम अपने अकेलेपन को अपनी सफलता का कारण कुछ इस तरह की सोच विकसित कर बना सकते हैं , जैसा की निम्नन बिन्दुओ में बताया गया है।
- आप अपने अकेलेपन को नकारात्मक तरीके में न ले। अकेलापन आपके अनदर छिपी हुयी शक्तियों को विकसित करने का एक मौका है।
- ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जिसमे आप पाओगे की कई अकेले व्यक्तियों ने अपने दम पर बड़े बड़े महान कार्य किये हैं और सफलताओ को हासिल किया है।
- शरीर को चिंता में मत डुबाकर बरबाद मत करो। जब आपको अपने हाथ पैर ,अपने दिमाग और दिल पर भरोसा हो जाएगा उस दिन आपके अनदर एक आवाज़ जरूर निकलेगी जो आपको प्रेरित करेगी और आपसे हसकर कहेगी इन बाधाओं को कुचलकर तू अकेला चल अकेला।
- हमेशा दुसरे से उम्मीद के सहारे अपनी आशाओ के महल खड़े मत करो ऐसा करके आप अपने साहस को कमजोर बना देते हो और खुद को अपंग।
- जो व्यक्ति दूसरो के सहारे यात्रा करता है वह उतनी ही जल्दी अकेला भी हो जाता है।
- दुसरो के सहारे अपनी जिंदगी की नाव को मत चलने दो क्यों की आपको दूसरो के ज्ञान और अज्ञान का सही सही अंदजा नही हो सकता।
- अकेलेपन को सफलता का कारण बनाने के लिए सबसे जरूरी है की आप खुद को प्यार करने लगो।
अंत में इस गीत की कुछ पंक्तियों के साथ विदा लेता हु दोस्तों " रुक जाना नहीं तू कही हार के , कांटो पर चलके मिलेंगे साये बहार के " .................ओ राही चल, ओ राही चल।
आपका अपना
मनोज
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