वर्ल्ड मेन्टल हेल्थ डे - 10 अक्टूबर ! एक समय था जब बीमारियां लोगो कोसो दूर रहती थी क्यों कि उस समय में लोगो का खान पान बिलकुल शुद्ध थ...
वर्ल्ड मेन्टल हेल्थ डे - 10 अक्टूबर !
एक समय था जब बीमारियां लोगो कोसो दूर रहती थी क्यों कि उस समय में लोगो का खान पान बिलकुल शुद्ध था। उस समय मानसिक बीमारी जैसे शब्द तो सुनने में आते ही नहीं थे। लोगो को मानसिक बीमारियां नहीं थी क्यों कि अधिकतर लोग एक दुसरे से मिलजुलकर रहते थे, एक दुसरे से प्रेम करते थे। उनके बीच अकेलेपन जैसी भावनाये नहीं थी।
वही दूसरी और अगर हम वर्तमान हालातो की बात करे तो हम लोग अपने सामाज में रह रहे अधिकतर लोगो को चारो तरफ से शारीरिक एवम मानसिक बीमारियों से घिरा पाते हैं। अभी कल 10 अक्टूबर को वर्ल्ड मेन्टल डे था।
पिछले काफी सालो से हर साल मानसिक बीमारी के अलग अलग थीं पर ये दिन 10 अक्तूबर को ही मनाया जाता है। वर्तमान आकंड़ो पर नज़र डाले तो हम पाएंगे की आज के समय में लोगो को शारीरिक बीमारी से ज्यादा इन दिनों मानसिक बीमारियां मुख्य रूप से प्रभावित कर रही हैं। आज व्यक्तियों मेंटल डिसऑर्डर धीरे धीरे एक बड़ी बीमारी का रूप लेता जा रहा है और गंभीर समस्या बनती जा रही है ।
क्या होती है मानसिक बीमारी ?
मानसिक बीमारी आखिर क्या है और कैसी होती है ? इस बारे में अभी तक शोध चल रहा है। क्योंकि ये दिमाग से शुरू होकर यह नस नस में समां जाती है जाती है। नींद ना आना, चिड़चिड़ापन, गुस्सा और डिप्रेशन में रहना, इस बीमारी के सबसे बड़े लक्षण हैं। दरअसल, आपको समझ ही बहुत देर से आता है कि आपको आखिर हुआ क्या है। इस बीमारी की कोई खास वजह नहीं होती, लेकिन धीरे-धीरे ये आपको इस तरह से अपने काबू में कर लेती है कि आपके हाथ में कुछ नहीं रह जाता है। अकेलापन, डिप्रेशन और गंभीर चिंतन आपको इस तरफ ढकेल देता है। कई बार लोग इंसोमनिया का शिकार होते हैं।
जब हम बीमारी के शिकार होते हैं तो हमारे परिवार वाले , दोस्त आदि भी हमको समझ नहीं पाते और उन्हें मानिसक रूप से अक्षम बताने लगते हैं। ऐसे में डॉक्टर, मनोवैज्ञानिक और काउंसिलर ही आपकी मदद कर सकते हैं। जब अपने आप घर में इसका कोई समाधान नजर ना आए तब आप डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। अभी पिछले कुछ वर्षो में हुयी अधिकतर आत्महत्याओ के आंकड़े बताते हैं यह कि सबसे ज्यादा आत्महत्याएं स्ट्रेस या तनाव की वजह से हुई है और ये तनाव मानसिक होता है और इसका सीधा असर समाज या आपके घर पर होता है।
डॉक्टरों एवम विशेषज्ञओ का कहना है कि इस बीमारी में दवा से ज्यादा पीएफए काम करता है।
PFA आखिर है क्या ?
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में 1 साल में 1 लाख से ज्यादा लोग मेंटल डिप्रेशन का शिकार होने के कारन आत्महत्या करते हैं। लोगो में बढ़ता तनाव इसका प्रमुख कारन है। लोग स्ट्रेस इतना लेते हैं कि खुद से कभी बात नही कर पाते। हर समय उलझनों में घिरे रहते हैं। एक तरफ अपनी जॉब , बिज़नस की उलझने तो दूसरी और पारिवारिक उलझने ऐसे में हम इमोशनल स्ट्रेस से ग्रषित होते जा रहे हैं। डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक का यह मानना है कि दवा से ज्यादा पीएफए की जरूरत होती है। पीएफए मतलब "साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड" जो आपको सबसे पहले अपने परिवार या घर के सदस्यो द्वारा मिल सकता है। ये एक ऐसा ट्रीटमेंट है, जो हमें तनाव कम करने में मदद करता है। जब हम तनाव से घिरे होते हैं तो ऐसे में हमको डॉक्टरी ईलाज से पहले अपने परिवार की सलाह और काउंसिलिंग की जरूरत होती है। इसे कहते हैं पीएफए।
कैसे निपटे मानसिक बीमारी से ?
इस बीमारी से निपटने के लिए हमको सबसे पहले अपने आपको मानसिक तौर पर मजबूत बनाना होगा साथ ही साथ अपने परिवार और दोस्तों से अपने संबंधों को बेहतर बनाना होगा ताकि उनके सहयोग प्रेम हमे मिलता रहे है। अगर वे आपको समझें और आपकी मानसिक स्थितिके साथ ताल मिलाकर चलें तो आप इस बीमारी से ठीक हो सकते हैं। दवा से ज्यादा आपकी सकारात्मक सोच और आपका आत्मविश्वास ही इस बीमारी से आपकी मदद करेगा और आप एक स्वस्थ्य जीवन व्यतीत कर पाएंगे ।
Keywords: World Mental Health Day, Mental Disorder disease , Mental Stress
$$ सभी पाठकगणो को दशहरा की हार्दिक शुभकामनायें $$
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