"आये दिन हम अन्तरिक्ष में होने वाले अनेक परीक्षणों के बारे में जानते रहते है पर कभी कभी हमारे दिमाग में एक सवाल उठने लगता है की आका...
"आये दिन हम अन्तरिक्ष में होने वाले अनेक परीक्षणों के बारे में जानते रहते है पर कभी कभी हमारे दिमाग में एक सवाल उठने लगता है की आकाश में ये जो तारे हैं इनका निर्माण कैसे हुआ होगा ये अन्तरिक्ष की जानकारी भी बहुत रोचक है और इस अन्तरिक्ष को सही से जाननेके लिए हज़ारो वर्ष भी कम है।आओ जानते है तारो के निर्माण पर किये गए इस अध्यन केबारे में - नवनिर्मित आकाश गंगा में अरबों साल पहले किसी विध्वंसक घटना की वजह से तारों के निर्माण की प्रक्रिया रूक गई थी।"
ब्रिटेन में डरहम विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के नेतृत्व में वैज्ञानिकों के एक दल ने एक नए शोध में इस घटना के सबूत मिलने के बाद विश्वास व्यक्त किया है कि इससे मालूम हो सकता है कि हमारी आकाश गंगा के समान अन्य विशाल मंदाकिनियों का उनके निर्माण के बाद विस्तार क्यों नहीं होता रहा। वैज्ञानिकों ने आशा व्यक्त की है कि इस निष्कर्ष से आकाश गंगाओं के निर्माण और विकास के बारे में समझ और बढ़ सकती है।गैस से हुआ नए तारों का निर्माणवैज्ञानिकों का कहना है कि तीन अरब साल पहले "एसएमएम जे 1237 प्लस 6203" नामक इस विशाल आकाश गंगा का निर्माण महाविस्फोट के बाद हुआ। उस समय ब्रह्माण्ड की उम्र मौजूदा उम्र कीएक चौथाई थी।

रॉयल सोसाइटी और रॉयल एस्ट्रोनोमिकल की आर्थिक सहायता से किया गया यह शोध रॉयल एस्ट्रोनोमिकल सोसाइटी के मासिक सूचना पत्र में प्रकाशित हुआ है।उर्सा मेजर तारामंडल के मार्ग निर्देशन में जेमिनी वैधशाला का इस्तेमाल करते हुए इस आकाश गंगा का निरीक्षण किया गया। विकासशोध दल के प्रमुख डॉ0 डेव अलेक्जेंडर का कहना है, अतीत में देखने पर हमें एक विध्वंसक घटना का पता लगा है, जिसने तारों का निर्माण और स्थानीय ब्रह्माण्ड में एक विशाल आकाश गंगा का विकास रोक दिया।
यह आकाश गंगा नए तारों को बनने से रोककर अपने विकास को नियंत्रित कर रही है।वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस घटना के पीछे ऊर्जा का भारी उत्सर्जन है, लेकिन इसका पता उन्हें अब लग पाया है।उनका कहना है, इसी तरह के भारी ऊर्जा उत्सर्जन ने तारों के निर्माण के लिए जरूरी पदार्थो को उड़ाकर संभवत: प्रारंभिक ब्रह्मांड में अन्य आकाश गंगाओं के विकास को रोक दिया। शोध दल अब यह पता लगाने के लिए तारों का निर्माण करने वाली अन्य विशाल आकाश गंगाओं का अध्ययन करने की योजना बना रहा है कि अन्य आकाश गंगाओं में भी इसी तरह की घटना तो नहीं हुई है।
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