खिलते हुए फूलो का अभी और खिलना बाकी है ! इनके रंगों की सुन्दरता का अभी और चमकना बाकी है !! इनकी लहलहाती हुई बहारो का अभी और निकलना बाकी...
इनके रंगों की सुन्दरता का अभी और चमकना बाकी है !!
इनकी लहलहाती हुई बहारो का अभी और निकलना बाकी है !
मत तोड़ो इनके सपनो को , इनकी हसरतो का अभी और महकना बाकी है !!
आओ मिलकर सहयोग करे इनके सपनो को पूरा करने में !
इनके सपनो को अभी ऊचाईओ को छूना बाकी है !!
गौर से देखो इनकी नयी नयी उमंगो को ,ये कहती है मुझे खिलने दो क्यों की
मेरे साथ कुछ बूढी आखों का सपना बाकी है !
ये कहती है अभी हमको बुद्धि और ज्ञान का दीप जलाना है !
खुशहाली हो सदा यहाँ पर , हमे जंगलराज को मिटाना है !!
न रहे कोई दानव यहाँ पर हर तरफ रौशनी हो शिष्टाचार और स्वाभिमान की !
आओ हम सब दुआ करे इसके लिए , अभी चमन में इन्ही उम्मीदों को पूरा होना बाकी है !!
फूलो को खिलने दो अभी इनका और खिलना बाकी है !!
------ इनकी खुशियों के नाल मनोज
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