" 27 अगस्त 2015 को शाम 4 बजकर 52 मिनट पर भारत ने श्रीहरि कोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र म...
" 27 अगस्त 2015 को शाम 4 बजकर 52 मिनट पर भारत ने श्रीहरि कोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक नयी सफलता को हासिल किया है। यह निश्चित रूप से ही भारत के लिए सफलता का दिन है। भारत ने अपने नये उपग्रह जी सेट 6 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। अंतरिक्ष वैज्ञानिको ने इसके सफल प्रक्षेपण के कारण संचार सेवाओ में सुधार होनी की आशा व्यक्त की है। "
इस नए भारतीय उपग्रह GSAT 6 को GSLV-D6 रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया है। GSLV-D6 की ख़ास बात यह है कि इसके इंजन को क्रायोजेनिक तकनीक की मदद से बनाया गया है। इसलिए यह सफल प्रक्षेपण भारत के और भी महत्वपूर्ण है क्यों कि भारत ने अपने दम पर क्रायोजनिक इंजन बनाया है। अपनी इस सफलता की वजह से भारत की इसरो (ISRO) अंतरिक्ष संस्था आज अमेरिका, रूस, जापान, चीन और फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसियों के बाद ऐसी छठी अंतरिक्ष एजेंसी है ,जिसने स्वदेशी क्रायोजेनिक तकनीक का सफलतापूर्वक प्रयोग किया है।
यह भारत के लिए क्रायोजेनिक तकनीक के प्रयोग का दूसरा अवसर है। इससे पहले 5 जनवरी 2014 को भारत ने क्रायोजेनिक तकनीक से बने इंजन का इस्तेमाल GSLV-D5 के प्रक्षेपण में भी किया था। जो की सफल रहा था। सफलता की यह राह इतनी आसान नही थी पिछले कुछ वर्षो में भारत ने इस हेतु काफी प्रयास किये थे परन्तु सफलता नही मिल पायी थी जैसे की इस हेतु भारत ने 15 अप्रैल 2010 में प्रक्षेपण किया था परन्तु वह सफल नही रहा था।

क्रायोजेनिक इंजन वाले इस राकेट की मदद से जिस उपग्रह GSAT 6 को प्रक्षेपित किया गया है। इस उपग्रह से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं -
- GSAT-6 इसरो द्वारा निर्मित 25 वां भू-स्थतिक संचार उपग्रह है।
- GSAT श्रृंखला में यह 12वां उपग्रह है।
- यह उपग्रह एस-बैंड में पांच स्पॉट बीम और सी-बैंड में एक राष्ट्रीय बीम से युक्त है।
- GSAT 6 उपग्रह का लिफ्ट-ऑफ द्रव्यमान 2,117 किलोग्राम है। प्रणोदकों का वजन 1,132 किलोग्राम और उपग्रह का शुष्क द्रव्यमान 985 किलोग्राम है।
- GSAT-6 उपग्रह का एक अत्याधुनिक पहलू इसका एस-बैंड का खुलने लायक एंटिना है जिसका व्यास छह मीटर है। इसरो की ओर से तैयार किया गया यह सबसे बड़ा उपग्रह एंटिना है।
- GSLV D6 की ओर से भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा में स्थापित किए जाने के बाद GSAT-6 का नियंत्रण इसरो की मास्टर कंट्रोल फेसिलिटी के हाथों में चला गया है।
अंत में भारत की अंतरिक्ष संस्था ISRO की टीम को बहुत बहुत बधाई। हम आशा करते हैं की यह सफलता भारत के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
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