"हमारे देश के महान वैज्ञानिक , मिसाईल मैन एवं हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ ए. पी.जे. अब्दुल कलाम ( अवुल पकिर जैनुलाअ...
"हमारे देश के महान वैज्ञानिक , मिसाईल मैन एवं हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ ए. पी.जे. अब्दुल कलाम (अवुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम) अब हमारे बीच नहीं रहे। डॉ कलाम 83 वर्ष के थे। वह कल 27 जुलाई 2015 को शाम करीब साढ़े छह बजे भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में एक व्याख्यान के दौरान गिर पड़े और फिर उन्हें मेघालय राजधानी शिलांग में नानग्रिम हिल्स में बेथनी अस्पताल में भर्ती जहां उन्हें सघन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में भर्ती किया गया।जहा उनका निधन हो गया। "
डॉ कलाम जी की इस कमी को भारत में आने वाले कई वर्षो तक कोई भी पूरा नहीं कर पायेगा। वह न केवल एक महान वैज्ञनैक बल्कि एक महान इंसान, एक अच्छे व्यक्तिव भी थे। उनकी उपलब्धियों को , उनके विचारो को , देश के प्रति उनके प्रेम को हम कभी नहीं भूल सकते। उनके सरल स्वभाव और उनकी अच्छी सख्सियत होने का पता इस बात से चलता है कि वह सभी धर्मो का सम्मान करते थे। वह गीता और कुरआन दोनों पढ़ते थे। सुबह सुबह वह आसन भी करते थे।
उनका जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा। लेकिन जीवन के कठिन मौके पर भी उन्होने कभी हार नहीं मानी और सफलताओ को हासिल किया। उनके अच्छे व्यक्तित्व और संघर्षपूर्ण जीवन का आज हर कोई कायल है। हर आयु के व्यक्ति उनका सम्मान करते हैं। वह युवा वर्ग के लिए एक प्रेरणा श्रोत हैं। उनका जीवन छात्रों को हमेशा मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है। छात्रों को हमेशा सपने देखने और उन सपनो को पूरा करने के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित करता है।
उनकी जीवन से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें एवं पर उनकी उपलब्धियां जो हमको हमेशा प्रेरित करती रहेगी ,जो हमेशा हमारे साथ रहेगी इस प्रकार हैं :-
- 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गांव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में डॉ अब्दुल कलाम जी का जन्म हुआ था। उनके पिता जैनुलाब्दीन न तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे, न ही पैसे वाले थे। अब्दुल कलाम साहब सयुंक्त परिवार में रहते थे।
- अपने बचपन के दिनों में कलाम साहब को अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए अखबार भी बेचना पड़ा सुबह की नवाज़ पढ़ने के बाद वह सुबह ८ बजे तक अखबार बेचते थे और फिर स्कूल चले जाते थे।
- रामेश्वरम के पंचायत प्राथमिक विद्यालय में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद कलम साहब ने श्वार्ट्ज हाईस्कूल, रामनाथपुरम में प्रवेश लिया।
- उन्होंने 1950 में सेंट जोसेफ कॉलेज, त्रिची में दाखिला लिया। जहा से उन्होंने भौतिकी और गणित विषयों के साथ बी.एस-सी. की डिग्री प्राप्त की।
- उन्होंने मद्रास इंस्टीयट्यूट ऑफ टेक्ना्लॉजी (एम.आई.टी.), चेन्नई से अंतरिक्ष विज्ञान में डिग्री हासिल की।
- डॉ0 कलाम साहब 1962 में 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' (ISRO) से जुड़े। यहाँ पर उन्होंने अनेक पदों पर कार्य किया।
- डॉ कलाम साहब ने ISRO में आम आदमी से लेकर सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अनेक महत्वपूर्ण परियोजनाओं की शुरूआत की।
- परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी3 के निर्माण में उन्होने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- उनके निर्देशन में जुलाई 1980 में रोहिणी उपग्रह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया।
- डॉक्टर कलाम साहब ने अग्नि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से बनाया ।
- डॉक्टर कलाम साहब जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा "सुरक्षा शोध और विकास विभाग" (DRDO ) के सचिव भी रहे ।
- उन्होंने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर विस्फोट , परमाणु परीक्षण में अहम भूमिका निभायी । यह उन्हीं की देन है कि आज भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में जो इतनी सफलता प्राप्त की । उन्होंने भारत को ‘सुपर पॉवर’ बनाने के लिए 11 मई और 13 मई 1998 को सफल परमाणु परीक्षण किया।
- डॉ0 कलाम साहब नवम्बर 1999 में भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार रहे। इस दौरान उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्रदान किया गया।
- डॉक्टर कलाम साहब ने इस देश के बच्चों और युवाओं को जागरूक करने का हर सम्भव प्रयास किया । इसके लिए उन्होंने प्रण किया कि वे एक लाख विद्यार्थियों से मिलेंगे और उन्हें देश सेवा के लिए प्रेरित करने का कार्य करेंगे।
- डॉ कलाम साहब को भारत के सर्वोच्च सम्मान "भारत रत्न" से भी नवाजा गया।
- डॉ0 कलाम 25 जुलाई 2002 को भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए। वह 25 जुलाई 2007 तक इस पद पर रहे।
- डॉ कलाम साहब अपने देश भारत को एक विकसित एवं महाशक्तिशाली राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं। उन्होने अपनी पुस्तक 'इण्डिया 2020' में देश के विकास हेतु अपनी सोच एवं कार्य योजना को बताया है ।
- डॉ कलाम साहब हमेशा कहते थे कि भारत को कृषि एवं खाद्य प्रसंस्ककरण, ऊर्जा, शिक्षा व स्वास्थ्य, सूचना प्रौद्योगिकी, परमाणु, अंतरिक्ष और रक्षा प्रौद्योगिकी के विकास पर ध्यान देना होगा।
अभी कुछ दिन पहले 22 जुलाई 2015 को ही झारखंड की शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने हजारीबाग के सरस्वती शिशु विद्या मंदिर स्कूल में आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को श्रद्धांजलि अर्पित कर दी। उस समय कलाम साहब जीवित थे। कहा जाता है कि किसी जीवित व्यक्ति की तस्वीर पर फूल नहीं चढ़ाए जाते। वह 22 जुलाई 2015 का दिन था जब यह घटना हुयी और कल 27 जुलाई 2015 के दिन उनका निधन हो गया।
डॉ ए. पी.जे. अब्दुल कलाम (अवुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम) जी की कमी को पूरा नहीं किया जा सकता। डॉक्टर जी के लिए यह पंक्तियाँ कहना बिल्कुल उचित होगा कि -
"हज़ारो साल लग जाते हैं , बड़ी मुश्किल से होती है चमन में ऐसी सख्सियत पैदा "
डॉ ए. पी.जे. अब्दुल कलाम जी को शत शत नमन एवं विन्रम श्रधांजलि !
मनोज कुमार
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