अरे ओ छोटू ! हाँ चाचा !! कछु सुनत रहो की नाय ? का चाचा का भयो ? छोटू हम खबर सुनत रहे की लन्दन के भूगोल वैज्ञानिको ने धरती ...
अरे ओ छोटू !
हाँ चाचा !!
कछु सुनत रहो की नाय ?
का चाचा का भयो ?
छोटू हम खबर सुनत रहे की लन्दन के भूगोल वैज्ञानिको ने धरती जितना बड़ा हीरा खोज निकाला है !
चाचा अगर सच में ये हीरा है और अगर इसका 0.000000000000000000000001 हिस्सा भी हर किसी को मिले तो धरती का हर एक प्राणी मालामाल हो जाए , पर चाचा ये एक धरती के आकार का एक ग्रह है , जिसका हीरे जैसा होने का अनुमान है वरना अब तक दुनिया के तमाम देश इसके लिए लड़ मर जाते और के पता आने वाले समय में और नयी जानकारी पता चले इसके बारे में !
हाँ छोटू ऐसा ही होगा !!
दोस्तों ऊपर लिखी पंक्तियों को पढ़कर चौकना मत क्यों की शायद ये सच हो वैज्ञानिको ने एक ऐसे तारे की खोज की है जिसके बारे में उनका कहना है कि ये तर गैलक्सी के सबसे अजीब तारों में से एक है। यह ग्रह अविश्वसनीय रूप से ठंडा, प्राचीन और बुझा हुआ है जो धरती के आकार के एक हीरे में क्रिस्टलीकृत (सघन) तब्दील हो गया है !
ये बाते विस्कॉन्सिन-मिलवाउकी यूनिवर्सिटी के प्रफेसर डेविड कैपलान ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कही उनके मत के अनुसार , 'यह निश्चित तौर पर एक अद्भुत वस्तु है।' ऐसी चीजें वहां होनी चाहिए लेकिन क्योंकि इनकी चमक बहुत फीकी है इसलिए इन्हें खोज पाना बहुत मुश्किल है वाइट ड्वार्फ वे तारे होते हैं जो अपने जीवन के अंतिम अवस्था में पहुंच चुके होते हैं। मतलब इस अवस्था में इनकी एनर्जी और गर्मी के लिए जिम्मदार फ्यूजन रिऐक्शन पूरी तरह से रुक जाता है, जिसके कारण इनमें बची हुई कार्बन और ऑक्सीजन एक अविश्वसनीय घनी और ठंडी अवस्था में संघटित हो जाते हैं।
इसी आधार पर हाल ही में खोजे गए इस वाइट ड्वार्फ के बारे में एस्ट्रोनॉमर्स का मानना है कि यह तारा एक हीरे की तरह ही ठंडा और क्रिस्टलीकृत हो गया है। जिससे इस तारे की उम्र 11 अरब वर्ष होने का अनुमान लगाया जा रहा है ! अक्सर ऐसा मन जाता है की लगभग 97 प्रतिशत तारे वाइट ड्वार्फ में तब्दील हो जाते हैं, इस तरह के कई ग्रहों की भी खोज की जा चुकी है लेकिन इनको खोज पाना बहुत इतना आसान नही होता क्यों की इनकी बहुत ही कम चमक होती है जिस वजह से ये धरती पर टेलिस्कोप की नजर में नहीं आ पाते।
अगर हम इसकी भूगोलिक संरचना के बारे में बात करे तो ये इस तारे के एक पार्टनर तारे की वजह से धरती पर एस्ट्रोनॉमर्स को इसके बारे में पता चला। इसका पार्टनर तारा पल्सर स्टार पीएसआर J2222-0137 एक बहुत ही घना न्यूट्रॉन तारा है, जो जो बहुत ही तेजी से घूमता है और आकाशगंगा में किसी लाइट हाउस की तरह रेडियो किरणें छोड़ता रहता है। लेकिन पीएसआर J2222-0137 के साथ एस्ट्रोनॉमर्स ने नोटिस किया कि इस तारे की रेडियो किरणों के सामने लगातार एक अनजानी वस्तु की रुकावट आ रही है।इसको सबसे ठंडा वाइट ड्वार्फ बताया जा रहा है।
यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलाइन के ग्रैजुएट स्टूडेंट बार्ट डनलप ने कांफ्रेंस में बताया की , 'हमारी अंतिम इमेज में किसी भी न्यूट्रॉन तारे का चक्कर लगा रहे वाइट ड्वार्फ से 10 गुना ज्यादा ठंडे वाइट ड्वार्फ को दिखना चाहिए, हालांकि हमें कोई चीज दिखाई नहीं दी है।' 'अगर वहां कोई वाइट ड्वार्फ है, जिसका वहां होना लगभग निश्चित है, तो वह निश्चित तौर पर बहुत ही ठंडा है , यह डायमंड वाइट ड्वार्फ सूर्य के केंद्र से 5 हजार गुना ज्यादा ठंडा हो लेकिन फिर भी इसका तापमान 2700 डिग्री है या 4,892 डिग्री फारनहाइट है।
Reference - http://www.sciencedaily.com/releases/2014/06/140623131333.htm
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