" आज के युग में प्रथ्वी पर मानव जिस तरह से चाँद की और अपने कदम बड़ा रहा है उससे लगता है की एक दिन वह दुनिया जरूर बसेगी। इतना ही नही...
"आज के युग में प्रथ्वी पर मानव जिस तरह से चाँद की और अपने कदम बड़ा रहा है उससे लगता है की एक दिन वह दुनिया जरूर बसेगी। इतना ही नहीं बल्कि आज के समय में वैज्ञानिक चाँद पर खनिज संस्थानों की खोज भी कर रहा है ताकि उनको धरती पर लाकर उनका प्रोयोग किया जा सके।"

आओ बात करते है दुनिया की सबसे बड़ी अन्तरिक्ष अगेंच्य नासा की अमेरिका चन्द्र अन्वेंसन के प्रय्तोगो के लिए पहले से ही परषिद रहा है। अमेरिका की अन्तरिक्ष अगेंच्य नासा के वैज्ञानिको ने अपना ऍम ३ यंत्र का उपयोग भारतीय चंद्रयान-१ मिसन में किया था । अमेरिका की भरता के साथ इस सजेदारी के बाद अमेरिका ने अपना स्वंत्रत मिसन अल क्रोस भी प्रक्षेपित किया ।
अल-क्रोस नासा का रोबोटिक्स अन्तरिक्ष यान था। जिसको अन्तरिक्ष में एक अन्य रोबोटिक्स अन्तरिक्ष यान अल आर ओ के साथ १८ जून २००९ को प्रक्षेपित किया गया था । इस रोबोटिक्स यान ने चाँद के निकट साउथ धुर्वो के समीप अब तक के सात ठन्डे स्थानों के रूप में नामाकिंत किया है। ये सभी उपग्रह एटलस बी रोकेट पर केप वायुसेना स्टेशन से प्रक्षेपित किये गए थे।
वैसे तो एल्क्रोस मिसन का उदेश्य चाँद की साथ पर पानी का पता लगाना था । इस एल्क्रोस मिसन के प्रमुख भाग शेफेर्डिंग स्पेस क्राफ्ट और सन्तार रोकेट थे .९ अक्टूबर २००९ को सन्तार स्टेज रोकेट तथा उसके चार मिनट बाद शेफेर्डिंग रोकेट चाँद के साउथ ध्रुव के समीप स्थित किबिय्स क्रेटर से टकराए । पानी की तलाश में हुई इस जबरदस्त टक्कर के कारन चाँद की साथ पर धुल का गुबार बन गया । इन तक्कारो से चटाने टूट गयी और काफी ऊपर तक मिटटी हो गयी थी। शेफेर्डिंग यान ने में लगे हुए कैमरों से इसके फोटोस लिए गए इसको प्रमुख उदेश्य धुल के गुबार में पानी का पता लगाना और अन्य जल सामग्री का पता लगाना था ।
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