पोलीथीन का नाम तो आपने सुना ही होगा . जिसको परचून कि दूकान से लेकर बिग बाज़ार तक सभी जगह प्रयोग किया जाता है. ये पोलीथीन अपने बड़ते उपयोग ...

पोलीथीन का नाम तो आपने सुना ही होगा . जिसको परचून कि दूकान से लेकर बिग बाज़ार तक सभी जगह प्रयोग किया जाता है. ये पोलीथीन अपने बड़ते उपयोग के कारण हमारी जिन्दगी का एक हिस्सा बन गया है पोलीथीन एक केमेस्ट्री का शब्द है और मीथाएलीन का एक घटक है . लेकिन ये आज अपने बड़ते उपयोग के साथ साथ बदती गंदगी का भी एक सबब बन गया है . हम पोलीथीन को प्रयोग करने के बाद कूड़े में फेंक देते है या फिर नालो में जहा से निकलकर ये पोलीथीन एक कूड़े के बड़े से ढेर में मिलती जाती है और एस प्रकार बीमारी को जन्म देती है खासकर बरसात के मौसम में .इसलिए इसका बढता उपयोग एक सर दर्द बनता जा रहा है. ये सभी बाते आप जानते है पर ये पोलीथीन कि ख़ास बात ये है इसको न तो हवा तोड़ सकती है ओर न ही पानी गला सकता है . एक पोलीथीन को नष्ट होने में लगभग २५ से ३० साल तक लगते है. हां आग जरूर इसको जला सकती है पर इसको जालने पर हानिकारक मीथेन गैस उत्पन होती है जो वायु को प्रदूषित करती है. तो क्या जलाने के अलावा इसको नष्ट करने का कोई और तरीका नहीं है . अभी गोविन्द बल्लभ पन्त युनिवेर्सिटी के वैज्ञानिको ने एक ऐसे बेक्टीरिया कि खोज की है जो इसको को ३ महीने में ही नष्ट कर देता है जिसका वायुमंडल पर कोई भी हानिकर प्रभाब नही होता है. ये बेक्टीरिया पोलीथीन कि संरचना के बोंड को तोड़ देता है और इसको नष्ट कर देता है.लेकिन क्या ये बेक्टीरिया पोलीथीन की समस्या को ख़तम कर पायेगा? क्या इसके उपयोग से पोलीथीन नालो में नहीं मिलेंगी.? देखिये क्या होता है?...................
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