"Memory Transplantation" अरे ओ छोटू ! हाँ चाचा ! कछु सुनत रहो की नाय ? का चचा का भयो ? ...
"Memory Transplantation"
हाँ चाचा !
कछु सुनत रहो की नाय ?
का चचा का भयो ?
अरे हम सुनत रहे कि आने वाले समय में एक मनुष्य के दिमागों में बसी यादो को दुसरे मनुष्य के दिमाग में डाला जा सकता है!
चचा अगर ऐसा हुआ तो किसी विषय विशेष में तेज और अधिक जानकारी रखने वाले लोगो की यादो को उस विषय में कमजोर लोगो के दिमाग में डालकर उनको भी तेज बनाया जा सकेगा।
हाँ शायद ऐसा ही होगा !
क्या है याददाश्त शेयरिंग का यह शोध ?
जी हाँ यदि आने वाले समय में एक व्यक्ति की याददाश्त को दुसरे व्यक्ति के दिमाग में प्रत्यारोपित किया जा सकता है तो इसमें आश्चर्य मत करना। इस विषय पर दक्षिणी कलिफ़ोर्निया एवं पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के न्यूरो साइंटिस्ट की टीम शोध कर रही है। उन्होने यह शोध अभी चूहों और बंदरो पर किया है। साथ ही साथ भविष्य में मानव पर भी इस शोध के सफल होने के संकेत दिए हैं। यहाँ आपको बता दे कि यह विशेष शोध अमेरिकी रक्षा मंत्रायल के अनुरोध पर किया जा रहा है क्यों कि क्यों उनका प्रयास है जो सैन्य कर्मचारी किसी वजह से चीज़ो को भूल जाते हैं उनको किसी तरह से वापस लाना।
सबसे पहले आपको बता दे कि मनुष्य के सिर के पिछले हिस्से में एक जगह होती है जिसका वैज्ञानिक नाम हिप्पोकैंपस हैं। इस जगह के एक हिस्से को सीए1 और दूसरे को सीए3 नाम से जाना जाता है। मानव मष्तिष्क में सूचनाएं इससे होकर ही गुजरती हैं। इनमें से ही कुछ सूचनाएं इस हिप्पोकैंपस में एकत्रित रहकर लंबे समय तक याद रह जाती हैं। यदि यह हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाये तो आदमी को चीजें कम याद रहती हैं। धीरे धीरे वह चीजों को बिल्कुल भूल जाता है।
सबसे पहले आपको बता दे कि मनुष्य के सिर के पिछले हिस्से में एक जगह होती है जिसका वैज्ञानिक नाम हिप्पोकैंपस हैं। इस जगह के एक हिस्से को सीए1 और दूसरे को सीए3 नाम से जाना जाता है। मानव मष्तिष्क में सूचनाएं इससे होकर ही गुजरती हैं। इनमें से ही कुछ सूचनाएं इस हिप्पोकैंपस में एकत्रित रहकर लंबे समय तक याद रह जाती हैं। यदि यह हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाये तो आदमी को चीजें कम याद रहती हैं। धीरे धीरे वह चीजों को बिल्कुल भूल जाता है।
यदि इस शोध के बारे में शुरुवाती अधयन्न की बात करे तो बता दे कि वैज्ञानिको ने अभी यह प्रयोग चूहों और बंदरों पर करने के बाद चित्र दिखाकर मिर्गी के मरीजों के दिमाग के इस हिस्से की गतिविधियों पर भी किया है। बाद में कुछ विशेष प्रकार के इलेक्ट्रोड की मदद से इन सूचनाओं को गुजारकर देखा और पाया की यदि उसे चूहों और बंदरों में प्रत्यारोपित किया जाए तो क्या सूचनाएं देर तक दर्ज रह जाती हैं ? इसमें उन्हें सफलता मिली है
इस शोध हेतु आगे की योजना !
यादाश्त के प्रत्यारोपण का यह प्रयोग अभी मनुष्यो पर नही किया गया है। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए साउथ कैलिफोर्नया विश्वविद्यालय के न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. टेम बर्जर के अनुसार, इन प्रयोगों के जरिये उन्हें दिमाग के याददाश्त वाले हिस्से को बेहतर कर सकने के काम में भी सफलता मिली है। पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता का कहना है कि सिर में हिप्पोकैंपस के आसपास के इलाकों में याददाश्त को लेकर भी कुछ प्रयोग सफल रहे हैं और अगर इसी दिशा में काम बढ़ा तो दिमाग के ज्यादा बड़े हिस्से के उपयोग की जानकारी भी मिलेगी।
इस शोध के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. बर्जर को पूर्ण विश्वास है कि आगे के प्रयोगों में सफलता मिलने पर आने वाले दिनों में याददाश्त की शेयरिंग भी संभव होगी, मतलब एक की याददाश्त को दूसरे में प्रत्यारोपित भी किया जा सकेगा। ऐसा हो पाया, तब ही अमेरिकी रक्षा मंत्रालय सैन्य सेवा के क्षेत्र में अपने सपने को पूरा कर सकेगा।
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