आज के इस समय में हमारे समाज में ऐसे कुछ अपने भी होते हैं जिनकी मदद के लिए हम अक्सर हर पल तैयार रहते हैं , पर जब वही अपने आपके विश्वास क...
आज के इस समय में हमारे समाज में ऐसे कुछ अपने भी होते हैं जिनकी मदद के लिए हम अक्सर हर पल तैयार रहते हैं , पर जब वही अपने आपके विश्वास को तोड़ते हैं तो हिम्मत ही टूट जाती है, इन पलो का अहसास अक्सर हर किसी को जिंदगी में एक बार तो जरूर होता ही है। आज के सामाजिक परिदृश्यों में इन पलो को समर्पित मेरी इस कविता के कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ :-
अक्सर मै ने लोगो को एक दर्द में रोते देखा है !
पर किसको करें बयां , यहाँ हर तरफ से धोखा है !!
सब पहचानते थे अच्छे से जिसको ये दुनिया वाले !
विपदा की घडी में , उस पहचान को खोते देखा है !!
अक्सर मै ने लोगो को एक दर्द में रोते देखा है !
आज मुझे हुआ जो अहसास , वो कल तुमको भी होगा !
सीमट गयीं है हसरते , जब अपनों को सोते देखा है !!
अक्सर मै ने लोगो को एक दर्द में रोते देखा है !
कुछ बुलबुले से उठते हैं जिंदगी के इस भवर में !
कुछ को बनते हुए तो कुछ को फूटते हुए देखा है !!
अक्सर मै ने लोगो को एक दर्द में रोते देखा है !
इसलिए हमको किसी और के विश्वास के सहारे नही रहना चाहिए हमको पेड़ पर बैठी उस चिडया की तरह होना चाहिए जिसको पेड़ की डाली टूटने का डर नही होता क्यों की उसे अपने पंखो पर विशवास होता है !!
Image Reference : Google
नोट : अगर आपको पोस्ट पसंद आये तो मेरा अनुरोध है कृपया ब्लॉग फॉलो कर अपने सुझाव देकर मार्गदर्शन करें !
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