पर्व है पुरुषार्थ का, दीप के दिव्यार्थ का ! देहरी पर दीप एक जलता रहे! अंधकार से युद्ध यह चलता रहे !! हारेगी हर बार अंधियारे की घोर-...
पर्व है पुरुषार्थ का, दीप के दिव्यार्थ का !
देहरी पर दीप एक जलता रहे!
अंधकार से युद्ध यह चलता रहे !!
हारेगी हर बार अंधियारे की घोर-कालिमा !
जीतेगी जगमग उजियारे की स्वर्ण-लालिमा !!
दीप ही ज्योति का प्रथम तीर्थ है!
कायम रहे इसका अर्थ, वरना व्यर्थ है !!
आशीषों की मधुर छांव इसे दे दीजिए !
प्रार्थना-शुभकामना हमारी ले लीजिए!!
झिलमिल रोशनी में निवेदित अविरल शुभकामना !
आस्था के आलोक में आदरयुक्त मंगल भावना!!!
देहरी पर दीप एक जलता रहे!
अंधकार से युद्ध यह चलता रहे !!
हारेगी हर बार अंधियारे की घोर-कालिमा !
जीतेगी जगमग उजियारे की स्वर्ण-लालिमा !!
दीप ही ज्योति का प्रथम तीर्थ है!
कायम रहे इसका अर्थ, वरना व्यर्थ है !!
आशीषों की मधुर छांव इसे दे दीजिए !
प्रार्थना-शुभकामना हमारी ले लीजिए!!
झिलमिल रोशनी में निवेदित अविरल शुभकामना !
आस्था के आलोक में आदरयुक्त मंगल भावना!!!
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